PREETI MUKUND

समस्त वेदों, शास्त्रों, पुराणों के साथ-साथ अन्य सभी सदग्रन्थों ने भी भगवान के विभिन्न गुणों, रूपों, शक्तियों व लीलाओं इत्यादि का वर्णन किया है, पर सत्य तो यह है कि अनंत का वर्णन संभव नहीं। गोस्वामी श्री तुलसीदास जी ने भी "श्री रामचरित मानस" में भगवान की वंदना करते हुए कहा है कि "कहौं कहाँ लगि नाम बड़ाई। रामु न सकहिं नाम गुन गाई।।" अर्थात मैं भगवान के नाम की बड़ाई कहाँ तक कहूँ, राम भी नाम के गुणों को नहीं गा सकते। मैंने अपने इस भक्ति पद संग्रह "प्रीति मुकुंद" में अपनी अल्पबुद्धि से यथासामर्थ्य भगवान की विभिन्न लीलाओं व प्रभावों का पदों और गीतों के माध्यम से शब्दचित्र उकेरने का एक विनम्र प्रयास किया है। - भरत त्रिवेदी