PRACHARYA VICHARYA

किसी संस्था में निरंतर एक लम्बी समयावधि तक कार्य करते रहने के दौरान प्राप्त अनुभव किसी पुस्तक से कम नहीं होते । मैं अपने ये अनुभव अपनी इस पुस्तक "प्राचार्य विचार" के माध्यम से आप सुधी पाठकगणों से साझा कर रहा हूँ। मेरा यह मानना है कि ये अनुभव शिक्षकों, भावी पीढ़ी, छात्रों और अभिभावकों के द्वारा विचारपूर्वक उपयोग में लाने पर प्रगति सूत्र सिद्ध होंगे। प्राचार्य के रूप में कार्य करने के दौरान मुझे अनेक अनुभव प्राप्त हुए जिनमें कुछ सुखद तो कुछ चुनौतीपूर्ण भी थे। शिक्षकों के मनोभाव परिवार-प्रमुख की तरह समझना, छात्रों के प्रधान पालक के नाते अनकहे, अनबुझे प्रश्नों का समाधान करना, अभिभावक को विद्यालय के सरोकार से जोड़ना सरल नहीं अपितु एक अनुभव जन्य कार्य है। योजना क्रियान्वयन, निरीक्षण और समीक्षा के प्रति प्रबंधन से जो प्रेरणा मिली उसे बनाकर शिक्षकों को प्रशिक्षण के दौरान सिखाया, अनुभूत ज्ञान को निरंतर लिपिबद्ध करता गया।

     

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