DHOOP KA BOJH

वर्षा की बूंदें जब धरती का स्पर्श करती हैं तो मिट्टी के संग मिलकर संपूर्ण वातावरण को सुगंधित एवं खुशनुमा बना देती हैं। ऐसी ही स्थिति होती है कवि की, कलाकार की। कवि की चिंतनधारा वेगवती जलधारा के समान भावों का स्पर्श करती है तो शाब्दिक अभिव्यक्ति फूट पड़ती है कवि की कलम से ,- वासंती पुष्पों के भिन्न-भिन्न रंग लिए। ऐसा ही काव्य - संग्रह है श्री कृष्ण सिंह हाडा का "धूप का बोझ"।

     

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